'' काशी नगरी जग से न्यारी ''
काशी नगरी जग से न्यारी , काशी नगरी सबसे प्यारी.......
रहते हैं त्रिपुरारी , शिव के अंग से निकली काशी ,शिव ने शूल पे धारी….... काशी नगरी सबसे प्यारी…
बिश्वनाथ महा ज्योतिर्लिंग में आन बिराजे भोले ,
दर्शन इनके जोभी करता भाग्य को उसके खोले ।
महिमा इसकी गूँज रही है सप्त पुरिन में भारी । । काशी नगरी जग से न्यारी ………
काशी के बन कोतवाल भैरौ हैं यहाँ बिराजे
अन्न देती मा अन्नपूर्णा सदा यहाँ पर राजे ।
यहाँ के हर एक मन्दिर की सोभा सबसे है न्यारी । । काशी नगरी जग से न्यारी…….......
दुर्गा कुण्ड पे दुर्गा भवानी के दर्शन सब कोई पाये
संकट मोचन हनूमान की शरण में जोभी आये ।
सब संकट पल में हर लेते हनूमान बलधारी । । काशी नगरी जग से न्यारी …………
कीट पतंग या मरकट मानव जोभी काशी का वाशी
शिव की प्यारी इस नगरी में मुक्ति सहज में पाती ।
प्रेम से हर हर शंकर बोलो मुक्ति है दासी तुम्हारी । । काशी नगरी जग से न्यारी …………(रचनाकार-आयुश कु. दुबे)
काशी नगरी जग से न्यारी , काशी नगरी सबसे प्यारी.......
रहते हैं त्रिपुरारी , शिव के अंग से निकली काशी ,शिव ने शूल पे धारी….... काशी नगरी सबसे प्यारी…
बिश्वनाथ महा ज्योतिर्लिंग में आन बिराजे भोले ,
दर्शन इनके जोभी करता भाग्य को उसके खोले ।
महिमा इसकी गूँज रही है सप्त पुरिन में भारी । । काशी नगरी जग से न्यारी ………
काशी के बन कोतवाल भैरौ हैं यहाँ बिराजे
अन्न देती मा अन्नपूर्णा सदा यहाँ पर राजे ।
यहाँ के हर एक मन्दिर की सोभा सबसे है न्यारी । । काशी नगरी जग से न्यारी…….......
दुर्गा कुण्ड पे दुर्गा भवानी के दर्शन सब कोई पाये
संकट मोचन हनूमान की शरण में जोभी आये ।
सब संकट पल में हर लेते हनूमान बलधारी । । काशी नगरी जग से न्यारी …………
कीट पतंग या मरकट मानव जोभी काशी का वाशी
शिव की प्यारी इस नगरी में मुक्ति सहज में पाती ।
प्रेम से हर हर शंकर बोलो मुक्ति है दासी तुम्हारी । । काशी नगरी जग से न्यारी …………(रचनाकार-आयुश कु. दुबे)
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